POOJA KOTHARIMom of a 8 yr 5 m old boy7 months agoA. दो साल के बच्चे में सुसु और पॉट्टी की बात नहीं बताना सामान्य हो सकता है, और यह हर बच्चे में अलग-अलग समय पर विकसित होता है। यहां कुछ सुझाव हैं, जिन्हें आप अपने बच्चे को सुसु और पॉट्टी की ट्रेनिंग देने में मदद के लिए अपना सकती हैं:
1. धैर्य रखें:
बच्चों को सुसु और पॉट्टी की ट्रेनिंग में समय लगता है। यह एक प्रक्रिया है, और हर बच्चे का समय अलग होता है। जब तक बच्चा पूरी तरह से तैयार न हो, तब तक धैर्य रखना जरूरी है।
2. सकारात्मक प्रेरणा:
बच्चे को बार-बार अच्छे काम के लिए सराहें। जब वह बाथरूम का उपयोग करता है या इसे बताने की कोशिश करता है, तो उसे स्फूर्ति और प्रोत्साहन दें। इससे उसे खुशी होती है और वह इसमें रुचि बढ़ाएगा।
3. नियमित समय पर बाथरूम भेजना:
बच्चे को नियमित रूप से बाथरूम भेजें, जैसे हर 2-3 घंटे में या जब वह खाता-पीता है, ताकि वह इस आदत को समझे।
4. सहज तरीके से समझाना:
बच्चों को समझाने के लिए सरल शब्दों में बताएं कि सुसु और पॉट्टी कहां और क्यों करनी है। आप उन्हें डायपर के बजाय पॉट्टी पर बैठने का मजा दिखा सकती हैं।
5. पॉट्टी ट्रेनिंग को खेल में बदलें:
बच्चे के लिए पॉट्टी ट्रेनिंग को एक मजेदार गतिविधि बना सकते हैं, जैसे पॉट्टी को "सुपर हीरो मिशन" या "डिस्कवरी एडवेंचर" के रूप में पेश करें, ताकि बच्चा इसे खेल समझे।
6. मॉडलिंग करें:
कभी-कभी बच्चों को देखकर सीखने में मदद मिलती है। अगर वह किसी बड़े को बाथरूम जाता हुआ देखता है, तो उसे भी वही करने की प्रेरणा मिल सकती है।
7. सेंसिटिविटी का ध्यान रखें:
कभी भी बच्चों को सुसु या पॉट्टी के लिए डांटे या शर्मिंदा न करें। यह नकारात्मक भावना पैदा कर सकता है और ट्रेनिंग को और भी मुश्किल बना सकता है।
8. सही समय पर शुरू करें:
यदि बच्चा शारीरिक रूप से तैयार नहीं है, तो ट्रेनिंग देने से कोई फायदा नहीं होगा। बच्चे के शरीर के संकेतों को देखें, जैसे वह पॉट्टी के बारे में दिलचस्पी दिखाता है या उसे गंदे डायपर में असहज लगता है।
यह एक धैर्यपूर्ण प्रक्रिया है, और जैसे-जैसे बच्चा बड़े होते जाता है, वह इसे समझने और करना शुरू कर देता है। यदि आपको लगता है कि प्रक्रिया में कोई समस्या आ रही है, तो डॉक्टर से भी परामर्श ले सकती हैं।
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