HomeQuestions & Answersbaby ko 6 mahine start hote hi khana Dena chahiye ya 6 mahina khatam hone ke baad se
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Ask a QuestionGuardian of a 1 yr 8 m old boy1 Year ago
Q.
baby ko 6 mahine start hote hi khana Dena chahiye ya 6 mahina khatam hone ke baad se
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ExpertDr. Minal AcharyaNutritionist1 Year agoA. dear Mum baby ko 6 months complete hone tak sirf Breastfeeding hi karwana chahiye
aur full 6 months complete hone ke baad hi top food and water shuru karna chahiye
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POOJA KOTHARIMom of a 8 yr 7 m old boy1 Year agoA. जी हां, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और अधिकांश बाल रोग विशेषज्ञों की सिफारिश है कि शिशु को जन्म के पहले छह महीने तक केवल स्तनपान कराया जाए। उसके बाद, जब बच्चा छह महीने का हो जाए, तो धीरे-धीरे ठोस आहार (complementary foods) शुरू किया जा सकता है, साथ ही स्तनपान जारी रखा जा सकता है।
**छह महीने के शिशु के लिए ठोस आहार शुरू करते समय ध्यान देने योग्य बातें:**
1. **धीरे-धीरे शुरू करें:** शुरुआत में एक समय पर एक नया भोजन दें और तीन से पांच दिनों तक प्रतीक्षा करें ताकि आप किसी भी एलर्जी या असहिष्णुता की पहचान कर सकें।
2. **सरल और सुपाच्य भोजन:** प्रारंभ में, हल्का और सुपाच्य भोजन दें, जैसे:
- मसली हुई उबली सब्जियाँ (गाजर, आलू, शकरकंद)
- फलों की प्यूरी (सेब, केला, नाशपाती)
- चावल की खिचड़ी या दलिया
3. **छोटी मात्रा:** पहले दिन एक या दो चम्मच से शुरू करें और धीरे-धीरे मात्रा बढ़ाएँ।
4. **स्तनपान जारी रखें:** ठोस आहार शुरू करने के बावजूद स्तनपान जारी रखें। यह बच्चे के पोषण और हाइड्रेशन के लिए महत्वपूर्ण है।
5. **स्वच्छता का ध्यान:** बर्तन, चम्मच और हाथ साफ रखें ताकि बच्चे को संक्रमण से बचाया जा सके।
6. **संकेत देखें:** शिशु के भूख और रुचि के संकेतों का ध्यान रखें। यदि बच्चा अधिक खाना चाहता है, तो उसकी जरूरत के अनुसार उसे और दें, और यदि वह मना करता है, तो उसे मजबूर न करें।
**उदाहरण तालिका (6-7 महीने):**
| समय | आहार |
| --------- | ------------------- |
| सुबह | स्तनपान |
| नाश्ता | मसली हुई केला या सेब प्यूरी |
| मध्य सुबह | स्तनपान |
| दोपहर | मसली हुई सब्जियाँ (जैसे गाजर, आलू) या खिचड़ी |
| शाम | स्तनपान |
| रात का खाना | दलिया या चावल प्यूरी |
| सोने से पहले | स्तनपान |
यह तालिका एक प्रारंभिक मार्गदर्शन के रूप में है। हर बच्चे की जरूरतें और प्राथमिकताएँ अलग होती हैं, इसलिए अपने शिशु के संकेतों का पालन करें और यदि कोई प्रश्न या चिंता हो तो अपने बाल रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें।
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