Mom-Me Time
Being Myself while being a Mom
Divya
Mom of a 6 yr 2 m old girl
5 years ago
तू कहीं नीम की छाओं में
अब इन आराम बिस्तरों में
आराम नहीं है
दूर ले चल तू कहीं
बारिश की नाव में
अब आगे जाने का
चाव नहीं है
अच्छी थी वो कहानियां परियों की
सच्चाइयों ने तो दिए घाव कई हैं
दूर ले चल तू पीछे
पिता के कंधों पर फिर से
उससे अच्छा ज़माना और कोई नहीं है
दूर ले चल तू वापस
माँ के आंचल में
उससे अच्छा रक्षा कवच कहीं नहीं है
दूर ले चल उस जहां में
जहाँ गली का हर घर तेरा था
ले चल तू वापस उन गलियों में
जहाँ तेरा नंगे पांव डेरा था
हर लड़ाई हर मिलाप हर खेल
बस तेरी शरारतें होती थी
हर चोट पर बेबाकी से रोना बनता था
मिट्टी के खिलौने ही सही
वो मेरे अपने थे
टूट गए से अब हैं
शायद वो मेरे सपने थे
दूर ले चल तू फिर से
उस छोटे से किराये के घर में
इन बड़ी दीवारों ने तो
दम घोंटे कई हैं
या फिर वहां ले चल तू साथ
जहां कृष्ण के अधरों से
फूंक बनकर निकलती है नाद
नाद वो जो प्रेम फैलाती है
नाद वो जो सबको करीब लाती है
बाकी यहां तो शोर शराबे कई हैं
-स्वाति