हर रिश्ता रहे यूं ही जवां-जवां सा - मेरे मन की बात

हर रिश्ता रहे यूं ही जवां-जवां सा – मेरे मन की बात

नमस्‍कार मेरे सभी साथियों! एक बार फिर मैं इस लेख के माध्‍यम से अपने मन की बात आप लोगों से साझा कर रही हूँ, कृपया अवश्‍य पढ़ियेगा और अपनी-अपनी प्रतिक्रियाएं व्‍यक्‍त किजीएगा।

जैसे कि साथियों दो-चार महिनों से हम सभी कोरोनावायरस के संक्रमण के चलते लॉकडाउन की अवधि का सामना कर रहे हैं और कहीं न कहीं मन के किसी कोने में स्‍वयं को अकेला महसूस भी कर रहे हैं! वैसे यह मेरा व्‍यक्तिगत विचार है, आप लोगों के विचार अलग-अलग हो सकते हैं! पर एक बार सोचकर देखिएगा कि यह अवधि तो वर्तमान में निर्मित हुई है! लेकिन क्‍या पारिवारिक रिश्‍तों को सदैव ही संजोकर रखने की जरूरत नहीं है हमें?

जी हॉं, केवल मुसीबत के समय ही नहीं अपितु हमेशा ही रिश्‍तों की पकड़ मजबूत रहेगी तो एक-दूसरे के सहयोग के साथ मुसीबतों का सामना करने में अधिक आसानी होगी। इस तकनीकी युग में यह मान भी लिया जाए कि सोशल मिडि़या भरपुर साथ निभा रहा है! परंतु साथियों वर्तमान परिस्थिति में शारीरिक दूरियों को कोरोनावायरस के संक्रमण से बचाव हेतु बरकरार रख रहें हैं और इसके चलते यदि शारीरिक रूप से हम किसी की सहायता करने में असमर्थ हैं! तो भी दूरभाष या व्‍हाटसेप मैसेज के माध्‍यम से एक-दूसरे के हालचाल तो पूछ ही सकते हैं न?

साथियों यह मैं अपने अनुभव के आधार पर यकीनन कह सकती हूँ कि रिश्‍तों को परिपक्‍व करने के लिए सदैव ही समय-समय पर हालचाल पूछते रहना चाहिए! लेकिन अत्‍यधिक कार्यों की व्‍यस्‍तता के कारण नहीं भी पूछ सके तो कोई बात नहीं! परंतु किसी के भी दुख या मुसीबत के समय छींटाकंसी न करते हुए आपके सांत्‍वना भरे शब्‍द उनके जीवन में संजीवनी के रूप में मरहम का काम कर सकते हैं।

परिवार में रिश्‍ता कोई भी हो, उसमें मजबूती का बीज समय के साथ धीरे-धीरे ही अंकुरित होता है और जिंदगी में यह प्‍यार भरा रिश्‍ता सदैव ही मजबूत बना रहे इसके लिए साथियों मैं कुछ महत्‍वपूर्ण बिंदु आप लोगों के साथ शेयर कर रही हूँ, जिस पर आप गौर कर सकते हैं।

जब दो लोग विवाह कर पति-पत्नि के पवित्र रिश्‍ते में जुड़कर नवजीवन की शुरूआत करते हैं! तो संबंध जोड़ना केवल उनका ही नहीं बल्कि यह दो परिवारों के मधुर सबंधों को जोड़ता है और रिश्‍तों की बागडोर भी हमारे ही हाथों में होती है! यह इस रिश्‍तों में बंधे लोगों पर निर्भर करता है कि वे इस बागडोर को कितनी मजबूती से पकड़कर रख सकते हैं और यह कोशिश एक ही व्‍यक्ति को नहीं अपितु सभी को रखना आवश्‍यक है! नहीं तो साथियों हम अनमोल रिश्‍तों को खो देते हैं और यूं ही वक्‍त बीत जाता है और मुझे यहाँ एक कहावत याद आ रही है! “अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत”।

जब किसी भी रिश्‍ते की नींव शुरू से ही मजबूत होगी, तो रिश्‍ता भी हमेशा ही रहेगा जवां-जवां। हर रिश्‍ते को प्रेमरूपी माला में पिरोने के लिए आपसी संवाद महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

  1. आपस में बातचीत बराबर बनाए रखें

किसी भी मजबूत रिश्‍ते की रीढ़ की हड्डी होती है आपसी बातचीत। रिश्‍तों की दूरियों को समाप्‍त कर समीप आने के लिए सबसे अच्‍छा तरीका होता है कि आपस में बिना किसी पूर्व धारणा के आपसी बातचीत से मामले को सुलझा लिया जाए ताकि आपसी स्‍नेह बना रहे। आपसी बातचीत में कभी भी जीत-हार के लिए कोई भी स्‍थान नहीं होता है, बल्कि एक-दूसरे की बातों को इस तरह से सुने-समझें कि आप भविष्‍य में रिश्‍तों को बनाए रखने के लिए किस तरह से सुधार कर सकते हैं।

2. बिना सोचे-समझे कोई भी फैसला न लें

यदि आप किसी भी रिश्‍ते में आपस में कोई भी बात साझा कर रहे हैं, तो इत्‍मीनान से पहले सुने। अक्‍सर होता यही है कि कोई स्‍वयं द्वारा की गई भूल या गलतियों के संबंध में बात करता है, तो हम तुरंत सही-गलत का फैसला करने लग जाते हैं या जाने-अनजाने एक-दूसरे को दोषी ठहरा देते हैं और मनमुटाव कर लेते हैं, जो सभी के स्‍वास्‍थ्‍य की दृष्टि से भी ठीक नहीं है। साथ ही कभी भी किसी के बहकावे में आकर तो कोई भी फैसला नहीं लेना चाहिए। फैसला लेने के बजाय, ऐसी बातें कहें जिससे दोनों ही पक्षों के मन का बोझ हल्‍का होकर आत्‍मविश्‍वास में वृद्धि हो सके।

3. स्‍वयं को समय देना भी अति-आवश्‍यक

किसी भी रिश्‍ते में जुड़ने का यह अर्थ बिल्‍कुल नहीं है कि आप स्‍वयं को समय ही न दें। एक स्‍वस्‍थ रिश्‍ते को बरकरार रखने के लिए आवश्‍यक है कि दोनों ही पक्ष स्‍वयं के लिए कुछ पल बिताएं, जिससे उनको अपने व्‍यक्तिगत लक्ष्यों को पूर्ण करने में आसानी होगी या जो पसंदीदा कार्य हों, वह किए जा सकते हैं।

4. एक नियम अवश्‍य ही निर्धारित रखें 

पूर्व में सभी परिवारों में एक नियम होता था, किसी का भी दिन कैसा भी गुजरे, उनमें आपस में कितनी भी तकरारें हों जाएं! परंतु रात का खाना सभी साथ में ही बैठकर खाते थे। साथ भोजन करते समय एक-दूसरे की फिर्क में सारे गिले-शिकवे भूल जाया करते थे। यदि वर्तमान में भी हो सके तो परिवार में यह नियम निर्धारित करके उसे अपनाएं तो जीवन सुखद हो सकता है।

इन सबके अलावा मेरा मानना है कि परिवार में हर रिश्‍ते में दोस्‍ती का रिश्‍ता कायम रखते हुए आपसी संवाद और सामंजस्‍य के साथ किसी भी तकरार को सुलझाया जा सकता है, साथियों।

इसी के साथ कहना चाहूँगी कि आप सभी शब्‍दों की सही ताकत को पहचाननें की कोशिश करेंगे, तो रिश्‍तों को बनाना बहुत ही आसान होता है लेकिन उनको निभाना बहुत मुश्किल “कितने शब्‍द हैं, उनको इस्‍तेमाल करने की समझ आपको अलग बनाती है! छोटे से दो शब्‍द हॉं और ना जीवन के मायने ही बदल देतें हैं।“

फिर साथियों बताइएगा जरूर अपनी आख्‍या के माध्‍यम से कि यह लेख आपको कैसा लगा? मुझे आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतजार रहेगा और साथ ही आप सभी मेरे अन्‍य लेख पढ़ने हेतु भी आमंत्रित हैं।

Disclaimer: The views, opinions and positions (including content in any form) expressed within this post are those of the author alone. The accuracy, completeness and validity of any statements made within this article are not guaranteed. We accept no liability for any errors, omissions or representations. The responsibility for intellectual property rights of this content rests with the author and any liability with regards to infringement of intellectual property rights remains with him/her.

Previous article «
Next article »