माँ की सीख एवं संस्कारों से ही बनें हम काबिल इंसान ( "कहानी")

माँ की सीख एवं संस्कारों से ही बनें हम काबिल इंसान (“कहानी”)

छोटी सी मुन्नी आज फिर उदास मन लेकर स्कूल जा रही थी। माँ ने कहा,” नाश्ता करके ही जा बेटी”, मुन्नी खाली पेट बिलकुल मत जाना कभी । मुन्नी रोते हुए बोली ” माँ, दादी रोज़-रोज़ मुझे ताने मारती है” और बोलती रहती है हमेशा खानदान में सब बहुओं को बेटियाँ ही हो गई, तो कुल एवं वंश डूब जाएगा। अब चाची को भी बेटी हुई तो उसमें क्या हुआ?? “वह तो छोटी बहन है ना मेरी”?, पड़ोस वाली आंटी के बेटे को बहुत ही प्रेम और स्नेह से गोद में लेकर खिला रही थी, दादी, जैसे उन्हीं का पोता हो ।

माँ ने कहा, तू स्कूल जा बेटी, दादी की तरफ ध्यान नहीं देना, तुझे अभी से कड़ी मेहनत करके पढ़ाई-लिखाई करनी है। स्कूल में शिक्षक-शिक्षिकाओं से शिक्षाप्रद एवं अच्छे आचरण सीखने हैं, बेटी,” तू यूँ ही इन फ़िज़ूल बातों पर अपना समय बर्बाद मत कर” । स्कूल जाने के बाद मुन्नी बहुत गहन विचार से सोचती है, माँ बिलकुल सही बात कह रही है। माँ ना जाने दादी के तानों को, इतना नौकरी करके, घर परिवार के सब काम करके और दादा-दादी, नाना-नानी, हमारा व पिता जी का भी ख्याल करके जाने कैसे बर्दाश्त करती है??? बर्दाश्त या सहन करने की कुछ सीमा निश्चित है भी कि नहीं??

शाम को स्कूल से आने के बाद मुन्नी ने माँ के संस्कारों का पालन करने का सोचते हुए, चाय-नाश्ता किया और अपनी पढ़ाई करने बैठ गई । “मन ही मन सोच रही थी मुन्नी, माँ सही तो कहती है” मैं अपनी पढ़ाई-लिखाई पर पूरा ध्यान दूंगी, तभी तो एक काबिल इंसान बन सकूंगी, लड़कों से आगे निकल सकूंगी, कुल का नाम रौशन कर सकूंगी । आज बेटियाँ भी तो कुल का नाम रौशन कर रहीं हैं, अब दादी को कौन समझाए??

कुछ सालों के बाद” मुन्नी दौड़ते हुए आई, और आते ही अपनी माँ से गले मिली, माँ-बेटी लिपटकर रोने लगी थीं, आँसूं छलकने लगे थे, जी हाँ! खुशी के आँसूं और क्यों ना छलकेंगे, मुन्नी 12वी की परीक्षा में अव्वल नंबरों से पास जो हो गई थी। “यह सब संभव हो सका एक माँ की सही सीख एवं संस्कारों के कारण” ।

“एक माँ ही समझ सकती है, बच्चों के कोमल मन को और वही देती है सही सीख और संस्कार, जो हमें जीवन में आगे बढ़ने के लिए सदैव ही प्रेरित करते हैं और हम दुनिया में कामयाब होते हैं “।

“माँ के संस्कारों का करो सदा ही सम्मान

उन्हीं संस्कारों से बनें हम काबिल इंसान”!

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