बच्चे गलतियाँ करके ही सीखते हैं, यह उनके बौद्धिक विकास में सहायक है
एक बार फिर हाजिर हूँ, इस शिक्षाप्रद कहानी के माध्यम से, आशा करती हूं , आप अवशय ही पसंद करेंगे।
राधिका अपने सारे कार्य करने के उपरांत अपनी बेटी रूबी जो तीसरी कक्षा में पढ़ती थी, उसकी हिन्दी की कॉपी की जांच कर रही थी तो उसने देखा कि रूबी ने ३-४ उत्तर गलत लिखें हैं। राधिका भी एक स्कूल में हिन्दी विषय की उच्च स्तरीय शिक्षिका के रूप में कार्यरत थी, सो जब उसको समय मिलता, वह अपना फर्ज समझकर अपनी बेटी की कॉपी की जांच अवश्य करती ।
रूबी अपना होमवर्क करके अपने खेलने में मस्त, इतने में राधिका ने बुलाया और पूछा बेटी ये उत्तर गलत क्यों लिखें हैं? रूबी बोली, मम्मी उस दिन मुझे बुखार था न, मैं स्कूल नहीं गई थी न, तो मैंने मेरी सहेली रितु की कॉपी से उतारे थे । रूबी अपनी मां का कहना मानने को तैयार ही नहीं थी। ज़िद पर अड गयी और कहने लगी हमारे स्कूल में शिक्षिका ने लिखवाया है और यह सही है । सबसे बड़ी बात यह कि उसकी कॉपी की चेकिंग भी स्कूल शिक्षिका के द्वारा की जा चुकी थी। फिर राधिका ने कुछ मन ही मन सोचा और कॉपी में एक नोट लिखा, व रूबी से बोली, कल कक्षा में अपनी शिक्षिका को नोट दिखाना।
दूसरे ही दिन रूबी दौडी-दौडी आई और मम्मी के गले लगकर बोली मम्मी तुम ही सही थी। हमारी शिक्षिका ने कहा कि मैंने जल्दी जल्दी में कॉपी की चेकिंग की थी, सो नहीं देख पायी । रूबी को उस दिन समझ में आ गया था कि हमेशा शिक्षिका भी सही नहीं होती और उनको इतने सारे बच्चों की कॉपी की चेकिंग करनी होती है तो उनसे भी गलती हो सकती है। उसने अपनी मां से माफी मांगते हुए कहा मम्मी अब मैं आगे से आपसे चेक करा लिया करूंगी, तभी शिक्षिका के पास कॉपी चेकिंग के लिए दूंगी।
तब राधिका ने सोचा कि यही सच है बच्चे हों या बड़े गलती तो सभी से होती है और गलती करके ही सही ज्ञान प्राप्त करने में सफल होते है । उस दिन से रूबी अपने माता-पिता के ऊपर भी विश्वास करने लगी और उसे यकीन हो गया कि माता-पिता अपने बच्चों को जन्म से ही सभी क्षेत्रों में सही ज्ञान देने की ही कोशिश करते हैं।
ऐसी ही कहानी सभी के साथ जन्म लेती होगी शायद सभी को बच्चों को ऐसे ही समझाना पड़ता होगा। कोई भी बच्चा जैसे जैसे बडा होता है, ठीक वैसे वैसे घर में हर चीज सीखने की कोशिश करता है तो उस समय घर में गुरु के रूप में माता-पिता द्वारा तथा शाला में शिक्षक-शिक्षिकाओं के द्वारा सही-गलत का ज्ञान दिया जाना अपेक्षित है एवं साथ ही साथ परिणाम भी समझाया जाना चाहिए ताकि बच्चे को पहले से ही समझ में आ जाए, वैसे भी आजकल बच्चे तेज तर्राट ही होते हैं तो उनके लिए यह आसन होगा, ऐसा मेरा मानना है।
वैसे तो बच्चों को खुलकर मस्ती भी बचपन में करने देना चाहिए क्योंकि बचपन में मस्ती नहीं करेंगे तो वे फिर बच्चे कैसे कहलाएंगे । घर में माता-पिता एकल परिवार में रहते हों या संयुक्त परिवार में, बच्चों के ऊपर जरूरत से ज्यादा रोक-टोक भी नहीं करना चाहिए, क्यो कि बच्चे ऐसे ही मस्ती में, खेल खिलाकर ही सीखते हैं।
जैसे कि हम कहते हैं कि जो काम करेगा , गलती भी उसीसे होगी, और गलती नहीं होगी तो वह फिर सीखेगा कैसे ? जो काम करेगा ही नहीं तो उससे गलती होगी ही नहीं। ऐसा ही कुछ छोटे बच्चों के साथ भी है।
मैं यहां मेरा किस्सा बताना चाहूंगी कि मेरा बेटा जब छोटा था और उसे नया-नया स्कूल में प्रवेश लिया ही था और बस फिर क्या था पेंसिल और कलम मिली, दिवार पर गोदना चालु हो गया । मैंने और पति ने बहुत समझाया पर नहीं समझा और हमने वह पांच साल का होने तक गोदा-गोदी करने दी। फिर जैसे -जैसे बड़ा हुआ, समझ आयी कि ऐसा नहीं करते और एक दिन खुद आकर बोला पापा पुताई करवा लो दीवार अच्छी नहीं लग रही। बस उस दिन हम समझ गए कि अब इसे समझ में आ गया है और फिर हमने पुताई-रंगाई कराई, उस दिन के बाद दोबारा ऐसी हरकत हमारे यहां हुई ही नहीं।
ऐसे ही आगे भी बच्चा जैसे-जैसे बड़ा होने लगता है वैसे-वैसे हर काम में उसे सही ग़लत का ज्ञान होने लगता है। किचन में भी मैंने अपने दोनों बच्चों को ऐसे ही समस्त कार्य करने के लिए प्रेरित किया और आज परिणाम यह है कि दोनों ही खाना अच्छा बना लेते हैं और साथ ही घर के अन्य कार्य भी कुशलता पूर्वक कर रहे हैं।
बच्चे हर काम हीगलतियाँ करके ही सीखते हैं और आगे बढ़ते हैं और वह काबिल इंसान बनने के लिए जरूरी भी है। आजकल का दौर ऐसा आ ही गया है कि शिक्षा प्रणाली के तहत बच्चों को अच्छी शिक्षा प्राप्त करने एवं नौकरी के लिए भी घर से बाहर जाने की आवश्यकता होती है तो वह सभी कार्य करने की कोशिश करेगा तभी तो वह नये कार्य करने की क्षमता भी रखेगा और अवश्य ही सफलता की सीढ़ी पर भी प्रकाशित होकर अपने माता-पिता और शिक्षक-शिक्षिका का नाम रोशन करने में कामयाब होगा।
समस्त पाठकों मैं बहुत खुश हूँ कि आप मेरे समस्त लेख रूचि के साथ पढ़ते हैं और पसंद भी करते हैं, जिसके लिए मैं आपका आभार व्यक्त करती हूं एवं आशा करती हूं कि आप यह लेख भी पढ़ेंगे और अपने विचार व्यक्त करेंगे।
धन्यवाद आपका ।
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