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एक मां की डायरी जिसे बेसब्री से अपने होने वाले बच्चे का इंतजार है
यह डायरी मैंने उस दिन लिखना शुरू की जिस दिन मैंने तुम्हें अपने अंदर कहीं ना कहीं महसूस करना शुरू कर दिया था।
“वेलकम टू माय लाइफ बेबी”
27 सितंबर 2011 को मैं और तुम्हारे पापा डॉक्टर के पास गए थे। हम दोनों के मन में एक अजीब सी खुशी थी। जानते हो क्यों? क्योंकि हम जल्दी से जानना चाहते थे कि हमारी लाइफ में जो नन्हा सा मेहमान आने वाला है उसके आने की खबर कोई सपना तो नहीं है, और फिर दोपहर 12:30 बजे का अपॉइंटमेंट मिला डॉक्टर से मिलने का।
उस वक्त हमारे चेहरे पर जो नई-नई फीलिंग थी ना उसको छुपाना बहुत मुश्किल था। लेकिन कंफर्म न्यूज का इंतजार तो करना था। इसलिए आधा घंटे इंतजार के बाद डॉक्टर के केबिन में गए। मन में बस यही चल रहा था डॉक्टर जल्दी से कोई अच्छी सी खबर सुना दे, बस डॉक्टर ने कुछ टेस्ट किए और सबसे पहले तुम्हारे पापा को पता चला कि सचमुच तुम हमारी दुनिया में आने वाले हो और जानते हो जब मैंने तुम्हारे पापा का चेहरा देखा तो मैं थोड़ा सा कंफ्यूज हो गई। उनके चेहरे पर स्माइल भी थी, और आंखों में हल्की सी नमी। पहले तो कुछ समझ नहीं आया। लेकिन फिर यह मिक्स वाले एक्सप्रेशंस देखकर समझ गई कि हम मम्मी-पापा बनने वाले हैं। ऐसा लग रहा था जोर-जोर से चिल्ला कर सारी दुनिया को बता दूं कि तुम हमारी दुनिया में आने वाले हो। हम बहुत ज्यादा खुश थे। सोच रहे थे शाम को फोन करके बाकी के फैमिली मेंबर्स को भी सब कुछ बता देंगे। लेकिन कंट्रोल करना बहुत मुश्किल था। सबसे पहले फोन किया तुम्हारी होने वाली दादी को और नानी को।
हां तुम्हारे पापा की बात कर रही थी ना मैं, तो जानते हो जब तुम्हारे पापा को पता चला कि वह एक छोटे से बेबी के पापा बनने वाले हैं, एकदम से चुप हो गए। वह अक्सर ऐसा ही करते हैं, जब भी वह बहुत ज्यादा खुश होते हैं। पहला सवाल जो उन्होंने डॉक्टर से किया वह मुझे आज भी याद आता है। उन्होंने खुद एकदम छोटे बच्चे की तरह डॉक्टर से पूछा –
“हम मैकडॉनल्ड में जाकर बर्गर तो खा सकते हैं ना?”
यह तुम्हारे पापा का वह पहला रिएक्शन था जो तुम्हारे इस दुनिया में आने की खबर सुनने के बाद उन्होंने दिया था। बहुत खुश थे हम दोनों और उसी दिन शाम को जाकर एक क्यूट से बेबी का पोस्टर ले आए। बेडरूम में लगा लिया उसे और पता है मैंने क्या किया?
तुम्हारे पापा के बचपन की फोटो अपने फोन के वॉलपेपर पर लगा ली। बार-बार उसे देखा करती थी। क्योंकि मैं हमेशा से चाहती थी कि तुम बिल्कुल तुम्हारे पापा जैसे दिखो और उसे मैं इतना प्यार करूं बस जिसकी कोई लिमिट ही न हो। क्या फर्क पड़ता है वह बेटा बनकर आए या बेटी बनकर। वैसे किसी को बताना मत तुम्हारे पापा को लगता है कि तुम बेटी बनकर ही आओगे। क्योंकि जो भी होगा वह बहुत प्यारा होगा और इसके बाद क्या हुआ यह मैं तुम्हें अपने अगले लेटर में जरूर बताऊंगी…तुम इंतजार करना। पूरे 9 महीने मैंने तुम्हें अपने अंदर महसूस किया है और उन सारी फीलिंग्स को लिखने की कोशिश की है। बहुत मजा आने वाला है तुम्हें यह सब सुनने में…