एक नारी के जीवन में साँझ के बाद आता है खूबसूरत सवेरा
आज तो हद हो गई,घर के काम निपटाते -निपटाते स्कूल के लिए काफी लेट हो गई । मैं एक सरकारी स्कूल में टीचर हूँ! आज बहुत परेशान हूँ मैं, इसका कारण हमारी प्रधानाध्यापिका थी,जो बच्चों और टीचर के साथ भी काफी सख्ती से पेश आती थी!सच कहूँ,तो वो मुझे फूटी आँख नही भााती हैै, लेकिन उनकी वजह से हमारे स्कूल का बहुत नाम था।मैडम,सब से दूरी बनाए रखती, किसी से बात तक नही करती, बहुत कठोर थी वो। आज पहली बार मैं ऐसी परिस्थिति में फंसी थी।मैं,उनकेे केबिन में गई,उन्होंने मुझे खूब फटकार लगाई। मैं, काफी दुखी मन से अपने क्लासरूम में गई।खैर, उसके बाद दिन अच्छे से गुजर गया।
घर आई तो सुुकून मिला, हमे एक पार्टी में जाना था। दरअसल, बेटे की दोस्त की बर्थडे पार्टी थी। मेंरे पति और बिटिया नहींं आ पा रहे थे क्योकि बेटी को पढ़ना था ,उसके परीक्षा जो पास है।
शाम 7 बजे मैं, और रोहित(मेरा बेटा) पार्टी में थे। काफी रौनक थी पार्टी में! मैं ,खड़ी बस इधर-उधर देेेख रही थी, तभी मेरी नजर मेरी प्रधानाधपिका पर पड़ी।वो, मेरी तरफ ही आ रही थी।
नीलिमा जी आज बहुत सुंदर लग रही है। वो, मेरे पास आके बड़े प्यार से मुझ से मेरा हाल चाल लिया।
नीलिमा जी, मुुझ से बोली – मैं जानती हूँ, आप मेेेरे बारे में क्या सोचती हैं। आज मैं भी आपको अपने इस व्यवहार का कारण बताना चाहती हूँ। सुजाता, मैं ऐसी नहीं थीं। जब सारे नाते धोखा दे तो लोग मेरे जैसे हो जााते है।
जब मैं दसवीं में थी, तो पापा के दोस्त मेंरे साथ गलत हरकतें करते थे। डर और शर्म के मारे मैं किसी से कुुुछ नहींं कह पाती। उसकेे बाद जब कॉलेज में पढ़ने आई तो एक लड़के को मैं बहुत चाहने लगी वो भी मुझे प्यार करता था लेकिन यहाँ भी मैं धोखा खाई ,वो लड़का मुझ से नही मेंरे दोस्त को प्यार करता था।उनमें शर्त लगी थी कि वो मुझेे पटा पायेगा या नही।मुझे मजाक बना केे रख दिया दोनों ने। तब से मेरा ,प्यार और दोस्ती से मोह भंग हो गया।
पढ़ाई पूरी हुई तो घर वालों ने मेंरी शादी करवा दी।ससुराल में दहेज के लिए सताया जाता और मैं बेेबस सब सहती रहती! एक दिन मेरे पति के पेट मे दर्द हुआ और वो चल बसे।ससुराल वालो ने घर से निकाल दिया। मायके आई तो बात बात पर ताने सुनने को मिलते। अंत में मेरी शादी किसी बूढ़े से करने की बात करने लगेे सब। मैंने मना किया तो माँ ने गुस्से में कहा तू मर क्यो नही जाती, फिर क्या था छोड़ आई ,मैं अपना घर जहाँ मेरा कोई नही था।
यहाँ अपनी मेहनत से अपना वजूूूद बनाया। मैं करीब 10 साल से तनु के पड़ोस में रह रही हूँ। वो मुझे माँ की तरह प्यार करती है। तनु और तुम्हारा बेेटा एकदूसरे से प्यार करतेे हैं। तनु की माँ मेरे उससे मिलने से पहले ही मर गई थी। वो नादान मुझमें अपनी माँ ढूंढती है। मैं भी उसे बहुत प्यार करती हूं।
तनु के पापा, काफी सज्जन हैं। उन्होंने कभी भी मेरे अकेलेपन का फायदा उठाने की कोशिश नही की, इसी बात से मैंं उनकी ओर खींची चली गई ये बात तनु समझ गई और आज उसने अपने पापा से गिफ्ट में मुझे मांग लिया। सुजाता,मेरे जीवन मे तो तनु ने सांझ के बाद का सवेरा ला दिया।
सुजाता, क्या हमें अपने बच्चों को साथ जीने की खुशियां नही देंनी चाहिए। मैं बोली – मुझे कोई आपत्ति नहीं है पर रोहित के पापा। नीलिमा जी बोली वो तैयार है बस आपकी हामी बाकी थी। फिर, हमदोनो माँओ ने केक कटिंग केे बाद उनकी सगाई होने वाली है ,ऐसा बताया ही था कि रोहित केे पापा वहाँ आ गए ।वो तो सगाई की तैैयारी कर के आये थे। ये मेरे लिए सरप्राइज था।
नीलिमा जी,की शादी 2 दिन बाद मंदिर में हुुुई।आज उनकी जीवन मे सांझ के बाद सवेरा आ ही गया।
Disclaimer: The views, opinions and positions (including content in any form) expressed within this post are those of the author alone. The accuracy, completeness and validity of any statements made within this article are not guaranteed. We accept no liability for any errors, omissions or representations. The responsibility for intellectual property rights of this content rests with the author and any liability with regards to infringement of intellectual property rights remains with him/her.