आपके मन को कहीं न कहीं छूने वाली( सुकूनभरी संक्षिप्त कहानियाँ)

आपके मन को कहीं न कहीं छूने वाली( सुकूनभरी संक्षिप्त कहानियाँ)

1.सुकूनभरी नींद

माँ से बाते करते-करते न जाने रूही को कब नींद लग गई और रंगीन परियों के सपनों में खो गई ।  बेचारी माँ  अपनी बातें करती रही, बेटी घर जो आई थी, पूरे साल भर परीक्षा देने के बाद ।

सुबह रूही माँ से स्नेह भरे प्यार से लिपटकर बोली सच में माँ, “विषय के अनुरूप पढ़ाई-लिखाई के लिए गई घर से बाहर मैं” । परीक्षा खत्म होने के बाद वैसे नींद आती ही है, पर घर पर तेरे हाथ का लज़ीज़ खाना खाकर जो सुकूनभरी-नींद आती है, उसका जवाब ही नहीं, “घर जैसा सुकून कहीं पर भी नहीं है माँ”।

2. बेहद सुकून

विकास आज फिर पत्नी ज्योती पर नाराज़ हो रहा था, शाम को ऑफिस के बाद तुम जाती कहाँ हो ? घर में बच्चों की परीक्षा चल रही, ऊपर से माँ-बाबुजी का  ध्यान रखना, खाना बनाना और इन सबके बीच तुम्हें अपना भी ख्याल रखना है न ? ज्योती थोड़ा रूककर कहती है, सरप्राइज है ।

दूसरे दिन ज्योती सासु-माँ को मेडिकल-जाँच के लिए ले जाती है, तभी “अनाथाश्रम से फोन आया”, जिन बधिर बच्चों को ज्योती पढ़ाया है वे अव्वल नंबरों से उत्तीर्ण हुए । ज्योती के आते ही विकास बोला, “इस सरप्राईज से वाकई मिला मन को बेहद-सुकून ।

3. परिवर्तन की सोच

अभी हाल ही में कॉलेज की तरफ से बेटा  रासायनिक-कारखाना, मुंबई  प्रशिक्षण हेतु गया साथ ही दोस्तों के साथ घूमने भी । फिर फोन पर आंखों देखा हाल लगा बताने, माँ तुझे मालूम है, वर्तमान में  नयी-नयी गगनचुंबी विशाल इमारतें इतनी ऊंची-उड़ान भर रहीं हैं, मानों आसमान को छूती हुई, रात में चकाचौंध प्रकाश की आवाज कह रही हो, प्रतिस्पर्धात्मक-युग में तरक्की करना है तो मुंबई ही बेस्ट है, हमारे शिक्षक भी यही कह रहे हैं माँ। मैंने कहा, ऊँचाई पर पहुँचने के लिए परिवर्तन की ऊंची सोच तो रखना होगा बेटा, लेकिन अपना शहर भूलकर हरगिज नहीं   ।

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